
जम्मू फ्रंटियरः रक्षा की एक अखंडनीय प्रथम पंक्ति
युद्ध विश्लेषकों ने भारत पाकिस्तान की अशांत सीमाओं को अशांत सीमाओं को विशेषकर जम्मू व कश्मीर के साथ सटी सीमा को विश्व में एक बड़े शत्रूतापूर्ण माहौल के रुप में स्वीकार किया है । वर्ष 1965 से अंतरराष्ट्रीय साीमा एवं वास्तिव नियंत्रण रेखा प्रकृति से स्वेच्छाधारी थका देने वाली व उग्र हो गई है। जम्मू में सीमा सुरक्षा बल एक दृढ़ संकल्प शत्रु से संघर्ष कर रहा है, एक ऐसा शत्रु देश जो किसी भी कीमत पर कश्मीर मसले को अंतरराष्ट्री रुप देने के लिए संकलित है और जो शत्रु देश अपनी सेना एवं पाकिस्तानी तंत्र के अपने स्वार्थी रवैय्ये के कारण अपने नेत्र बंद किए हुए हैं ।
उत्पतिः अब तक की यात्रा
जम्मू संभाग अपनी उत्पति के उपरांत से ही हमेंशा अपनी प्राथमिकता के आधार पर ध्यान आकर्षित करने का केन्द्र रहा है । दिसम्बर 1965 में जम्मू व कश्मीर के सशस्त्र पुलिस (जे एंड के) की तीसरी व चौधी बटालियन को conversion कर सीमा सुरक्षा बल की 45 और 46 बटालियन की स्थापना की गई और प्लौड़ा कैम्प (वर्तमान में जम्मू फ्रंटियर मुख्यालय) में नी 60 से 61 बटालियन की उत्पति के साथ जम्मू सेक्टर की स्थापना की गई थी। 01 जनवरी 1981 को उत्तर-पश्चिम फ्रंटियर, जालंधर, पंजाव के विभाजन, यहां पर सीमा सुरक्षा बल खालिस्तानियों के साथ पहले से ही युद्ध में व्यस्त थी, के उपरांत सेक्टर मुख्यालय राजौरी की स्थापना के साथ जम्मू सीमांत की स्थापना की गई थी । कश्मीर में आंतकवाद घटनाओं की चरम सीमा को नियंत्रण करने एवं जम्मू संभाग में भी शांति कायम करने के उद्देश्य से वर्ष 1992 में Adhoc Basis पर सेक्टर मुख्यालय डोडा एंव सेक्टर मुख्यालय किश्तवाड़ की स्थापना की गई । बहरहाल, जम्मू फ्रंटियर में सामान्य स्थिति के मध्यनजर भी लगातार घुसपैठ और भारी मात्रा में ऐप्रिहेन्शन, पाकिस्तान आर्मी का लिप्त होना संकेत देता है । बाद में, सेक्टर मुख्यालय सीमा सुरक्षा बल किश्तवाड़ को सेक्टर मुख्यालय राजौरी सी.आई.(ऑप्स) में स्थानांतरित किया गया और 31 जुलाई 2004 से सेक्टर सुंदरबनी के नाम से कार्य रहा है । गृह मंत्रालय द्वारा दिसम्बर 1994 में सेक्टर मुख्यालय गिद्दर गलियां को जम्मू फ्रंटियर की स्वीकृति की गई । 15 सितम्बर 2008 से वर्तमान तक सेक्टर मुख्यालय गिदर गलियां की सेक्टर मुख्यालय आईनगर से कार्य कर रहा है ।