तोपख़ाना मुख्यालय
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हमारे बारे में

हमारे बारे में

1.  1971 के मध्य में, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था, तो सेना के अधिकारियों द्वारा यह महसूस किया गया कि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ पर सेना प्रभावी तथा केंद्रित आर्टिलरी स्पोर्ट देने में सक्षम नहीं होगी।

2.  जनरल एस एच एफ जे मानेकशॉ, तत्कालीन सीओएएस, ने श्री के एफ रुस्तमजी, डीजी बीएसएफ के साथ तत्कालिन स्थिति पर चर्चा की और कुछ पोस्ट ग्रुप आर्टिलरी (पीजीए) को स्थापित करने का सुझाव दिया, जिसके लिए तोपें व तोपों से जुड़े उपकरण तथा गोला-बारूद सेना द्वारा प्रदान किया जाना था और कर्मचारी बीएसएफ के शामिल किए जाने थे। इस पोस्ट ग्रुप आर्टिलरी का मुख्य कार्य रक्षात्मक भूमिका में बीएसएफ इकाइयों को फायर स्पोर्ट प्रदान करना था और सीमित रक्षात्मक कार्यों में सहायता प्रदान करना था।

3.  श्री के एफ रुस्तमजी ने सुझाव को स्वीकृत किया और तद्नुसार 20 पीजीए स्थापना का प्रस्ताव प्रस्तुत किया। विभिन्न क्षेत्रों के लिए पंद्रह पीजीए की आवश्यकता थी और शेष को रिजर्व के रूप में रखा जाना था जिन्हें बाद में रॉकेट्री बैटरी के रूप में स्थापित किया जाना था। प्रत्येक पीजीए 3.7 इंच हॉवित्जर गन तथा 4.2 इंच मोर्टार से लैस थी। प्रस्ताव को सरकार द्वारा तुरंत स्वीकार कर लिया गया और बीएसएफ की 101 बटालियन को भंग करके भारत-पाक युद्ध से ठीक पहले 01 अक्टूबर 1971 को बीएसएफ आर्टिलरी को स्थापित किया गया।

4.  ब्रिगेडियर आर पी मित्तल को कमांडर आर्टिलरी बीएसएफ के रूप में सर्वप्रथम नियुक्त किया गया और उन्हें बीएसएफ की इस महत्वपूर्ण विंग को बढ़ाने का कार्यभार सौंपा गया। नवंबर के मध्य तक, भारतीय सेना से प्रशिक्षण टीमों के प्रयासों और अपने कार्मिको के समर्पण के साथ, पीजीए ने अपना प्रैक्टिस फायरिंग कैंप पूरा किया और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के लिए आँपरेशनल क्षेत्रों में तैनात किया गया।

5. अक्टूबर, 1991 में, सभी पीजीए इकाइयों को “बीएसएफ आर्टिलरी रेजिमैंट एंव बैट्रीज” के रूप में फिर से नामित किया गया और प्रत्येक रेजीमेंट में 03 x बैट्री के साथ सात आर्टिलरी रेजिमेंटों का गठन किया (02 बैट्रीज के साथ 1077 रेजिमैंट को छोड़कर), प्रत्येक बैट्री में 06 x तोपें मौजूद थीं, ताकि आर्मी आर्टिलरी यूनिट के साथ बीएसएफ आर्टी को भी एक अलग पहचान मिल सके।

6.  प्रारंभ में, बीएसएफ आर्टिलरी बैट्री स्थिर रक्षात्मक भूमिका के लिए थीं और रेजिमेंट मुख्यालय की बहुत सीमित भूमिका थी। परंतु समय के साथ, तकनीकी और आँपरेशनल परिदृश्य बदल गया है और अब बीएसएफ आर्टी को किसी भी भारतीय सेना की आर्टी फिल्ड रेजिमैंट की तरह संचालित करना अनिवार्य है। बीएसएफ आर्टी रेजिमैंटस की कमान अब समादेष्टा को सौंपी गई है, जिसके पास तोपखाना हैं और वह युद्ध के दौरान आर्मी ऑप्स कंट्रोल के तहत तैनात की जा रही हैं। बीएसएफ आर्टी रेजिमैंटस और आर्मी आर्टी फिल्ड रेजिमैंट की भूमिका और कार्य समान हैं।

7.  यह बहुत ही गर्व की बात है कि बीएसएफ दुनिया का एकमात्र ऐसा सीएपीएफ है, जिसके पास अपनी खुद की आर्टीलरी है, जो फोर्स की आँपरेशनल क्षमता को बढ़ाती है। पिछले 50 वर्षों में, बीएसएफ आर्टीलरी ने बहुत ही बेहतरीन प्रदर्शन किया है, चाहे वो 1971 के इंडो- पाक युद्ध हो आप्स विजय या आप्स पराक्रम हो या तत्काल समय में पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम उल्लंघन के जवाब में आर्टीलरी घातक फायर हो।

8.  वर्तमान में, बीएसएफ आर्टिलरी 105 मि0मी एलएफजी से लैस है जो बीएसएफ को उसकी जरूरतों तथा समय की आवश्यकता के अनुसार बढ़ी लम्बी दूरी की मारकक्ष्मता, घातकता तथा सटीकता प्रदान करती है। बीएसएफ आर्टी रेजिमैंटस तथा तोपखाना प्रशिक्षण स्कुल उपमहानिरिक्षक/कमान्डर आर्टी के समग्र निर्देशन में कार्य कर रहे हैं।

आर्टिलरी ट्रेनिंग स्कूल (एटीएस)

1.  आर्टिलरी ट्रेनिंग स्कूल (एटीएस) अप्रैल 1991 में बीएसएफ अकादमी टेकनपुर, ग्वालियर में पूलिंग मैनपावर के साथ-साथ बीएसएफ आर्टी रेजिमेंट के उपकरण और प्रशिक्षण सहायता संसाधनों द्वारा स्थापित किया गया । एटीएस एकमात्र प्रशिक्षण स्कूल के रूप में विकसित है जो आर्टी के विशेष प्रशिक्षण के साथ-साथ आर्टी सैनिकों और जीडी कर्मियों के लिए प्रशिक्षण प्रदान करता है। वर्ष 2006 में एटीएस को टेकनपुर से फरीदकोट में स्थानांतरित किया गया और वर्ष 2006 से ही एटीएस अपने कार्य का संचालन फरीदकोट में कर रहा है, जिसका उद्देश्य आर्टी सैनिकों के लिए बेहतर समन्वय और प्रशिक्षण है।

एटीएस की भूमिका

2.  एटीएस की यह सुनिश्चित करने के लिए कि विभिन्न प्रकार के आर्टी ट्रेडों के गनर को नियमित, सघन और प्रगतिशील प्रशिक्षण देना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बीएसएफ आर्टी की रैंक एंव फाइल पेशेवर रूप से सही बनी रहे।

3.            एटीएस में सालाना औसतन 14 पाठ्यक्रम जिनमें बेसिक, एडवांस और कुछ विशेष पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। एटीएस में हर साल लगभग 300 प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित किया जाता है। एटीएस में चलाए जा रहे विभिन्न पाठ्यक्रमों  इस प्रकार हैं:

पाठ्यक्रम

अवधि

क्षमता

स्तर

 बेसिक गनरी कोर्स

14

42

सभी रैंक

सर्वे

12

20

vU;

टी ए

12

15

vU;

ओ आर ए

10

15

vU;

डैट कमान्डर

12

21

vU;

आई जी सी

22

22

अधिकारी / एसओ

) गनरी लैग

8

) जी पी ओ लैग

8

) ओ पी लैग

6

ङी एंड एम (एफ ए टी)

6

15

vU;

ई एम एंड एम टी सी

10

15

vU;

रेजिमैंट इन्सट्रक्टर गनरी

6

20

vU;

रेजिमैंट इन्सट्रक्टर टीए

6

20

vU;